दिल्ली-एनसीआर में आज दोपहर अचानक भूकंप के झटके महसूस किए गए।

नेपाल में मंगलवार को आये भूकंप के बाद, भू वैज्ञानिकों ने एक बार फिर चिंता जाहिर की है कि जैसे कि लगातार भूकंप की चरम घटनाएं देखी जा रही हैं, यह संकेत देता है कि किसी भी समय एक बड़ी प्राकृतिक आपदा की संभावना है। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अन्ना.बी स्वामी कहते हैं कि दिल्ली एनसीआर एक ऐसे सीस्मिक जोन में है जो खतरनाक है, जहां 7 तीव्रता के भूकंप का संभावना है। नेपाल में हुए 6.2 मैग्नीटिट्यूड के भूकंप ने नोएडा से भी संबंध दिखाया है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि नोएडा में हुए इस भूकंप की तीव्रता काफी कम थी, लेकिन दिल्ली एनसीआर में इसके केंद्र बनने से चिंता यह है कि कहीं इसके बाद के भूकंप का प्रभाव न डाले। वल्नेबरिलिटी काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट दिखाती है कि दिल्ली एनसीआर में कई उच्च इमारतें असुरक्षित हो सकती हैं। अगर एक 7 तीव्रता का भूकंप होता है, तो यह भूमिगत सुन्न हो सकता है, और दिल्ली के कई इमारतें और घर इसके अद्भुत प्रभाव से जूझ सकते हैं। सीस्मिक जोन-4 में आने वाले भूकंप से दिल्ली एनसीआर को विशेष रूप से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और भूगर्भशास्त्री डॉक्टर एसएन चंदेल का कहना है। उनके अनुसार, सीस्मिक जोन 4 में आने वाले भूकंप की तीव्रता 7 मैग्नीटिट्यूड के करीब हो सकती है, और दिल्ली एनसीआर इसी जोन में आता है। इसलिए, नोएडा में हुए भूकंप के केंद्र को कमतर नहीं देखना चाहिए। यदि भूकंप की तीव्रता इस इलाके में बढ़ती है, तो यह बहुत गंभीर और खतरनाक स्थिति को पैदा कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी कम तीव्रता के भूकंप रोजाना हजारों के संख्या में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में होते हैं, लेकिन यह महसूस नहीं किया जा सकता।

वीसीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बीते कुछ सालों में दिल्ली और एनसीआर में हुए भूकंप के बाद, वल्नेबरिलिटी काउंसिल आफ इंडिया ने यहां की इमारतों की सुरक्षा की जांच के लिए एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर की हर ऊंची इमारत सुरक्षित नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यहां पर तीव्रता 7 के भूकंप का केंद्र आता है, तो दिल्ली की कई इमारतें और घर खतरे में हो सकते हैं। इन इमारतों के निर्माण सामग्री कमजोर हो सकती है, जिससे वे भूकंप के झटकों का सामना नहीं कर सकती हैं। काउंसिल की रिपोर्ट “बिल्डिंग मटेरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल” ने प्रकाशित की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में दिल्ली-हरिद्वार कगार, महेंद्रगढ़-देहरादून भ्रंश, मुरादाबाद भ्रंश, सोहना भ्रंश, ग्रेट बाउंडरी भ्रंश, दिल्ली-सरगोडा कगार, यमुना तथा यमुना-गंगा नदी की दरार रेखाएँ के क्षेत्रों में खतरा हो सकता है, क्योंकि ये क्षेत्र कमजोर हैं और भूकंप के झटकों को सहने में कमजोर हो सकते हैं।

आगामी भूकंप का खतरा समझाने के लिए, हमें यह समझना जरूरी है कि धरती की बुनाई के चार परतें (इनर कोर, आउटर कोर, मैंटल, और क्रस्ट) कैसे बनी हैं। ये परतें टैकटोनिक प्लेट्स के रूप में बटती हैं और किसी भी समय में हिल सकती हैं, जिससे भूकंप हो सकता है। कई बार ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, जिससे ऊर्जा मुक्त होती है, और ये भूमि पर हलचल उत्पन्न करती है। इन टकरावों के कारण भूमि पर भूकंप हो सकता है, जिनकी तीव्रता अलग-अलग होती है, और ये बड़ी तबाही का कारण बन सकते हैं।

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